Tuesday, January 23, 2007

मधुर स्मृतियाँ

मधुर स्मृतियाँ ,
आह ! वो मधुर स्मृतियाँ
जो कभी मेरे जीवन की
मृदुल सच्चाइयाँ थीं ,
आज कुछ बिखरे हुए पन्नों में सिमटी हुई ,
चन्द तस्वीरों के आवरण में
अपने सूक्ष्म रूप को छिपाती-दिखाती
मेरे मन में आज फिर इक हूक सी जगाती हैं ,
मेरे दिल को उदास कर जाती हैं |

मेरा दिल जो अब तक प्रसन्नता का आवरण ओढ़े हुए ,
भावपूणर् दोस्तों के बीच ,
मौजों के , मस्तियों के नीचे ,
यादों की आहों को दबाए हुए था ,
आज अचानक
तनहाइयों में सिसक पड़ा ;
एक गुबार सा उठा
जिसने मेरे मन-मस्तिष्क को
झकझोर कर रख दिया और
मैं फिर से उन स्वप्निल क्षणों को
जीने के लिए
बेताब हो उठा |

सच मानिए मेरी दिली तमन्ना है
कि मैं फिर से उन बीती यादों को ,
बचपन के , स्कूल के उन क्षणों को
उस मार को ,
दीदी के साथ की गई तकरार को ,
मम्मी-पापा के उस अनूठे प्यार को
साकार कर सकूँ |

पर मुझे मालूम है कि समय कभी वापस नही लौटता |
मैं भी उन यादों को फिर से जी नहीं सकता ,
पर हाँ ,
मैं उनके सहारे , कुछ ही पलों के लिए सही ,
एक नए जीवन ,
एक नई दुनिया में पदापर्ण कर सकता हूँ |
इसीलिए ,
उन मधुर स्मृतियों में खोए हुए इस मन
से निकलती आवाज को
मैं अपनी लेखनी से एक यादगार रूप दे रहा हूँ |

उम्मीद है , वे आँखें
जो आज अचानक ही बोझिल हो उठीं थीं ,
आज एक नया स्वप्न देखेंगी
और एक नई आशा के साथ
मेरे सुनहरे लक्ष्य को पूरा करने के लिए
मेरी हर संभव सहायता करेंगी ,
ताकि फिर कभी अगर ऐसे क्षणों का आगमन हो
तो मैं मुस्कुरा सकूँ कि
इन्ही कठिन परिस्थतियों के कारण आज मैं
यहाँ पर खड़ा हूँ ,
और खोया हूँ एक बार फिर
उन्ही मधुर स्मृतियों में !!

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