पलकें भी चमक उठती है सोते में हमारी
आँखों को अभी ख्वाब छिपाने नहीं आते.
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Saturday, March 22, 2008
वतन बेचते हैं
अमन चोरों को देखो अमन बेचते हैं
कफ़न चोरों को देखो कफ़न बेचते हैं
रखवाला जिसे बनाया देश का
वो दिल्ली में बैठे वतन बेचते हैं
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कफ़न चोरों को देखो कफ़न बेचते हैं
रखवाला जिसे बनाया देश का
वो दिल्ली में बैठे वतन बेचते हैं
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जब नाव जल में छोड़ दी
जब नाव जल में छोड़ दी
तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
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तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
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हिंद की विशेषता
एक राह के हैं मीत, मीत एक प्यार के
एक बाग के हैं फूल, फूल एक हार के
देखती है यह जमीन, आसमान देखता
अनेकता में एकता, ये हिंद की विशेषता.
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एक बाग के हैं फूल, फूल एक हार के
देखती है यह जमीन, आसमान देखता
अनेकता में एकता, ये हिंद की विशेषता.
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फूल
अजी शिखर पर जो चढ़ना है तो कुछ संकट झेलो
चुभने दो-चार कांटें, फिर जी भर गुलाब से खेलो.
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जिसने मरना सीख लिया है जीने का अधिकार उसी को
जो काँटों के पथ पर आया फूलों का उपहार उसी को.
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वक्त को जिसने ना समझा उसे मिटना पड़ा है
बच गया तलवार से तो फूल से कटना पड़ा है.
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