Saturday, October 11, 2008

Continued..

at  s7dhansh.wordpress.com
I didn't want to say much but the blogger is hell bent to prove my decision correct :). If you wonder why I am so hell bent on emphasizing my shift, its becuase everytime I posted, I got a bx-pier something error, which led me to believe that it didn't get posted. Anyways, thanks blogger ;P.

Continued.....

at  s7dhansh.wordpress.com

Continued.....

at  s7dhansh.wordpress.com

Continued.....

at http://s7dhansh.wordpress.com .

Continued.....

at http://s7dhansh.wordpress.com

Since the new release of wordpress (probably 2.5 onwards), I have completely made a switch to wordpress owing to their better features and flexibility options. Sounds too superficial, but as usual, I don't like to talk much. If you want the details create an account there.

See you at http://s7dhansh.wordpress.com .

Saturday, March 22, 2008

ख्वाब

पलकें भी चमक उठती है सोते में हमारी
आँखों को अभी ख्वाब छिपाने नहीं आते.

?

रफू

रफू की ताकीद करने वाले
कहाँ-कहाँ से रफू करोगे
लिबास-ए-हस्ती का हल ये है
जगह-जगह से मसक रहा है

?

एहसास - ज़िन्दगी

एहसास कोई मर गया तो ज़िन्दगी कहाँ
जिंदा नहीं ज़मीर तो जिन्दादिली कहाँ

?

वतन बेचते हैं

अमन चोरों को देखो अमन बेचते हैं
कफ़न चोरों को देखो कफ़न बेचते हैं
रखवाला जिसे बनाया देश का
वो दिल्ली में बैठे वतन बेचते हैं

?

जब नाव जल में छोड़ दी

जब नाव जल में छोड़ दी
तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या

?

दो बार नहीं मरना है

अब जो सिर पर आ पड़े नहीं डरना है
जन्मे हैं दो बार नहीं मरना है

?

उठिए जहान से

रहिए जहाँ में जब तलक इन्साँ के शान से
वरना कफ़न उठाइए, उठिए जहान से.

?

जीवन की परिभाषा

फूलों पर आँसू के मोती, और अश्रु में आशा
मिटटी के जीवन की छोटी नपी-तुली परिभाषा.

?

हिंद की विशेषता

एक राह के हैं मीत, मीत एक प्यार के
एक बाग के हैं फूल, फूल एक हार के
देखती है यह जमीन, आसमान देखता
अनेकता में एकता, ये हिंद की विशेषता.

?

फूल

अजी शिखर पर जो चढ़ना है तो कुछ संकट झेलो
चुभने दो-चार कांटें, फिर जी भर गुलाब से खेलो.

?

जिसने मरना सीख लिया है जीने का अधिकार उसी को
जो काँटों के पथ पर आया फूलों का उपहार उसी को.

?

वक्त को जिसने ना समझा उसे मिटना पड़ा है
बच गया तलवार से तो फूल से कटना पड़ा है.

?